जब कथाक्रम पत्रिका पढने के बाद मैंने संपादक शैलेन्द्र सागर के सम्पादकीय पर बहस छेड़ी थी तो काफी प्रतिक्रियाएं मिली। पर मुझे लगा कि यह पोस्ट ( पूर्व में इस बहस में शामिल नही होने वाले ब्लोगर्स नीचे के पोस्ट में जाकर पढ़े) शैलेन्द्र सागर को भी पढना चाहिए...मैंने उन्हें वाया मेल उस पोस्ट का लिंक उनके रिसाले में पहुंचा दिया..आज उन्होंने उस पोस्ट और तमाम प्रतिक्रियाओं को पढने के बाद पुनः यह कबूल किया कि ब्लॉग लेखन एक गंभीर रचना कर्म है॥ यह ब्लॉग लेखको के लिए एक सुखद बात है....
प्रिय भाई,
आपकी मेल के लिए शुक्रिया
मैंने ब्लॉग पर कमेन्ट पढ़े. मैंने अपनी अज्ञानता पहले ही स्वीकारी है. आज भी मै ब्लॉग को गंभीर रचना कर्म मानता हू..पर हमे ऐसे विकृतियों से सावधान रहने की जरूरत है.इसी मकसद से ये सम्पादकीय लिखा था. मुझे ख़ुशी है कि दोस्तों का ध्यान इस मुद्दे पर गया.
शैलेन्द्र सागर
ये तो होना ही था.सौरभ जी को साधुवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी बात ,कास कुछ लोग इस बात को नहीं समझने वाले भी समझ जाते !
जवाब देंहटाएंbahut achha laga pad kar bahut khub
जवाब देंहटाएंhttp://kavyawani.blogspot.com/