सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

गुरुवार, अगस्त 13, 2009

मुरलीवाले का सच

मैं नहीं माखन खायो मैय्या मोरी,

मैं नहीं माखन खायो ।

भोर भयो गऊवन के पीछे,

मधुवन मोहि पठायोरी ।

चार पहर बंशीबन भट्क्यो,

साँझ पडी घर आयोरी ॥

मैं नहीं माखन खायो मैय्या मोरी,

मैं नहीं माखन खायो ।

मै बालक बैयन को छोटो,

छिको किस विध पायोरी ।

ग्वाल बाल सब गैला पडे हैं,

बरबस मुख लिपटायोरी ॥

मैं नहीं माखन खायो मैय्या मोरी,

मैं नहीं माखन खायो ।

इतनी सुनके हंसी यशोदा,

ले उर कंठ लगायोरी ।

सुर श्याम शरणागत तेरी,

चरण कमल चित ल्यायोरी ॥

मैं नहीं माखन खायो मैय्या मोरी,

मैं नहीं माखन खायो ।

2 टिप्‍पणियां: