सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

मंगलवार, अगस्त 04, 2009

चाय चालीस रुपये प्रति किलो महँगी..

सीमा स्वधा जी की औरत पर केंद्रित एक कविता पर एक पाठक ने टिपण्णी दी थी:
मेरे घर में हर रोज यही सवाल उछलता है
कि पत्नी और चाय में पहले कौन उबलता है।

आज जब मै सुबह उठा तो चाय की पत्ती खत्म थी। दरअसल सुबह-सुबह चाय की चुस्की लेना मेरी आदत रही है। बाजार से चाय मंगाया तो पता चला चाय अब चालीस रुपये महँगी हो चली है।

लिहाजा, मै इसी सोच में पड़ा हूँ कि जब शादी करूंगा तो चाय और पत्नी में पहले कौन उबलेगा?

अजब विडम्बना है....

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