कल ही
खेलकर आया था
डेंग-पानी!
चचेरी बहनों के संग,
बचपन के दिनों की
याद ताज़ा करने के निमित्त।
खूब खेला
और खेलते-खेलते
भूल गया कि रिश्ते भी
अब डेंग और पानी हो चले हैं।
आज राखी है ।
सगी बहन दूर परदेस से
भेज चुकी है रेशमी राखी।
पर न जाने डाक में कहाँ गुम हो गई।
इंतज़ार था कि कोई चचेरी बहन
ही सुनी कलाई पर बंधेगी आज
राखी।
पर टकटकी लगाये
शाम हो चली।
छा गया सन्नाटा चहुओर,
टूटे रिश्तों के मानिंद।
- सौरभ के.स्वतंत्र
(दैनिक जागरण के पुनर्नवा में प्रकाशित)
राखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई
जवाब देंहटाएंmahendra ji aapko bhi rakhi ki shubkamnaye..
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
जवाब देंहटाएंDwivedi ji aapko bhi subhkamnayen
जवाब देंहटाएंबहना का प्रेम तो है ही - राखी भी आ ही जायेगी. फोन पर बात कर लिजिये, दिल न छोटा करें. खुशियों का त्यौहार है.
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के पावन पर्व की शुभकामनाऐं.
udan tashtari ji is baar to rakhi mil gayi...sham se pahle hi..ye rachna do saal pahele likhi thi maine..tab ki baat hai..
जवाब देंहटाएं