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गुरुवार, अगस्त 13, 2009

जब लाइफ हो ट्वेंटी-20

कितना अच्छा होता जब इंसान ट्वेंटी-20 की पारी खेल स्वर्ग सिधार जाता। तब बारहवीं से ज्यादा पढ़ने का झंझट ही न होता। बीए-एमबीए की जरूरत ही नहीं पड़ती। हँसते-खेलते जिंदगी की पारी समाप्त होती। न पीड़ा होती, न बीमारी होती। डॉक्टर के पैसे भी बचते। धरती से बोझ जल्दी-जल्दी कम होते। कितने कुंवारे रहते ही अपनी पारी का समापन करते।और गर शादी हो भी जाती तो एक बच्चे से ज्यादा पैदा न होते। धरती पर जनसंख्या नियंत्रित होती।

कितना अच्छा होता जब इंसान ट्वेंटी-20 की पारी खेल स्वर्ग सिधार जाता। तब जिंदगी रफ्तारमय हो जाती। सब कुछ फटाफट होता। न कमाने का झंझट होता। न फाइल लेकर जूते रगड़ने का। बाप के पैसों से ही जिंदगी मस्त कट जाती। न गम होता, न रम होता। कीटनाशक(कोल्ड-ड्रिंक्स) पीकर ही लोंग मस्त रहते। वोडका पीने की भी जरूरत न होती।

कितना अच्छा होता जब इंसान ट्वेंटी-20 की पारी खेल स्वर्ग सिधार जाता। तब इंसान नई नवेली दुल्हन से सिर्फ रोमांस ही करता। क्योंकि, परिवार का बोझ पड़ने से पहले ही पती-पत्नी धरती को बोझमुक्त कर देतें। कितना सुखमय जिंदगी होता।

कितना अच्छा होता जब इंसान ट्वेंटी-20 की पारी खेल स्वर्ग सिधार जाता। तब बीस से पहले ही लोग कवि होते, लेखक होते, पत्रकार होते। तब संपादकीय में जगह पाने के निमित्त बाल उड़ने तक का इंतजार न करना होता।

कितना अच्छा होता जब लाइफ बिंदास ट्वेंटी-20 का होता। तब सचिन व द्रविड़ बुढ़ापे में क्रिकेट न खेलते। युवा खिलाड़ी भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलते नजर आते। तब बूढ़ो की टीम आस्ट्रेलिया विश्व चैंपियन न होती। न ही फिल्मों में केवल इमरान हाशमी को चुम्बन का टेंडर मिलता। निशब्द में 60 के बजाय 16 का हिरो होता। एक छोटी सी लव स्टोरी पर तब मुकदमा न होता। लाइफ एकदम बिंदास होता।

कितना अच्छा होता जब इंसान ट्वेंटी-20 की पारी खेल स्वर्ग सिधार जाता। तब स्टींग आपरेशन की जरूरत ही न पड़ती। न ही कोई पत्रकार पकड़ा जाता। न बवाल होता, न ही आगजनी होती। चैनलों पर तब सिर्फ ट्वेंटी-20 लाइफ का महिमामंडन होता।

कितना अच्छा होता जब लाइफ बिंदास ट्वेंटी-20 का होता। तब बूढ़े राजनेताओं की जगह युवा लेते। तब देश का चहुंमुखी विकास होता। न रामसेतु पर बवाल होता। न परमाणु करार पर रार होता और न हीं बोफोर्स में तोप और कट्टा को ले धांधली होती। घोटालों की भी गुंजाइश कम होती। क्योंकि, जिंदगी छोटी होने के कारण पैसे की चिंता कम होती। कितना अच्छा होता जब इंसान ट्वेंटी-20 की पारी खेल स्वर्ग सिधार जाता।

- सौरभ के.स्वतंत्र

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