सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

शुक्रवार, अगस्त 14, 2009

हम तो आज भी गुलाम हीं हैं...हमें आजादी कब मिली थी?

हम तो आज भी गुलाम हैं...हमें आजादी कब मिली थी?


ये बात मेरे मन तब उठा जब आज मै स्कूली बच्चो को स्वतंत्रता दिवस की तैयारी में वंदे मातरम गाते सुना...



और मुझे याद आ गया एक विवाद...




दरअसल इसी वंदे मातरम को गाने के लिए अपने हीं देश में कुछ कठमुल्लाओं ने कुछ दिन पहले विवाद शुरू कर दिया था...



जंगे आजादी में प्रेरणा देने वाली हमारे राष्ट्रीय गीत को नहीं गाने का फतवा जारी कर दिया था ..


अब राष्ट्र गीत को गाने में विवाद हो तो क्या यह कहना गलत होगा कि हम तो आज भी गुलाम हैं... पहले अंग्रेजों के थें.....आज धर्मगुरुओं के हैं....


यदि नही तो एक बार मादरे वतन जरूर
गायें

वंदे मातरम


सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम


शस्य श्यामलाम मातरम


शुभ्र ज्योत्सना पुलकित यामिनी


फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनी


सुहासिनी सुमधुर भाषिनी


सुखदाम वरदाम मातरम


वंदे मातरम ।

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