सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

सोमवार, जुलाई 27, 2009

फिर-फिर होता चीरहरण..

अभी पटना में खुशबू के निर्वस्त्र किए जाने का मामला ठंडा नही हुआ था कि मां सीता की धरती सीतामढी में दबंगों ने दलित महिला पर जुर्म कर एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर दिया है/ जता दिया कि हमारी नियति ही मानवता के मुंह पर कालिख पोतना है। ऐसे मा*रों ने हीं हमारे सभ्य होने पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। बीते दिनों रीगा की एक महिला को पंचायत में निर्वस्त्र कर सलाखों से दागे जाने का मामला भी प्रकाश में आया था। और इधर बीते २५ जुलाई को एक दफा फिर सीतामढी में एक दलित महिला को निर्वस्त्र कर पिटाई की गयी। उस अबला का कुसूर सिर्फ इतना था कि खेत में बकरी चले जाने पर लम्पटों द्वारा बेटे की पिटाई का उसने विरोध किया। लिहाजा, कुछ बहशियों ने एक माँ/बहन समान महिला का चीरहरण कर दिया। सवाल यह उठता है कि ऐसी कलुषित घटनाएँ सूबे में हो रही हैं पर उसका विरोध नही किया जा रहा है..बस भीड़ लगा कर तमाशबीन बने एक अबला की लुटती इज्जत को किसी फ़िल्म की तरह देख-सुन लिया जा रहा है। आख़िर क्या हो गया है बिहार को? क्या यह वहीँ बिहार है जो चोरों को / लुटेरों को भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारे जाने का साक्षी रहा है। तो फिर एक स्त्री के लुटते आबरू का विरोध क्यो नही? क्या अब हिजडों की फौज तैयार हो रही है सूबे में? क्या इस बार भी पटना के माफिक सुशासन बाबू सीतामढी में प्रशासनिक फेरबदल कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेंगे? सवाल तो कई हैं..पर जवाब?

- सौरभ के.स्वतंत्र

6 टिप्‍पणियां:

  1. बस इस बात पर राजनीति होती है कि उत्तर प्रदेश में इज्जत लुटने पर इतने पैसे देते हैं....ये हो रहा है वो हो रहा है ...टी.वी. चैनल पर टी.आर.पी. बढ़ने के लिए उसे अजीबो गरीब ढंग से दिखा दिया जाता है....हाँ अन्य चीज़ों के लिए आन्दोलन होते हैं, तमाम प्रचार प्रसार किये जाते हैं, भूख हड़ताल की जाती है....लेकिन हमारे देश के इस सभ्य समाज के लोग स्त्री अपराध, बलात्कार के प्रति उदासीन बैठे हैं....तमाशा देखते रहेंगे जबतक बात अपनी बहन बेटी पर नहीं आएगी ...और बात क्या है ...इज्जत से खिलवाड़ तो गरीबों का, दलितों का ख़ास तौर पर होता है

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  2. सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी, बधाई स्वीकारें।

    आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं।
    आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
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    …Ravi Srivastava

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  3. इस सच को जनता को जगा जगा कर दिखाना ही होगा ,वर्ना हम सभी किस गहरे कुए मे कब गिर जायेगे पता ही नहीं चलेगा , धारदार लेखन के लिए साधुवाद ( पर मै साधू नहीं , सिर्फ एक मामूली इन्सान हु )

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