खैनी का निर्ममता से रगड़ा जाना,
जूते को बेरहमी से पंखे से लटकाना,
पानी की बोतल को चलती ट्रेन से फेकना,
गुटखा को क्रुरता से चबाये जाना,
धक्का-मुक्की कर सिट का रौंदा जाना,
पानी को सहयात्री के सर पर गिराना,
टॉयलेट को खोल कर बैठ जाना,
बड़ा हीं नासाज लगता है,
पर क्या करें?
भारत का भरता बनाना
हमें खूब आता है।
- सौरभ के.स्वतंत्र
bahut umda......
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