सोचता हूँ आसमान की तरह खामोश रहू, चुप-चाप बस जमी को निहारू और तारीफ़ में तारो को टिम-टिमा दू बेबसी यही है कि मै अथाह तो हूँ, मै करीब तो दिखता हूँ, पर हूँ दूर, गोया जुरर्त ये करता हूँ कि एक मुट्ठी चांदनी में जरुर भेजता हूँ सन्देशा, जताना चाहता हूँ मै ही हूँ आसमान, तारो वाला आसमान.
सुंदर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंDhanyavaad
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जवाब देंहटाएंचुप-चाप बस जमी को निहारू
जवाब देंहटाएंऔर तारीफ़ में तारो को
टिम-टिमा दू
.....वाह बहुत खूब....