सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

रविवार, अक्तूबर 23, 2011

बिहार में सी-कम्पनी का फिर खौफ!





  • बढ़ते अपराध को ले पुलिस के बजाये मीडिया पर बरसते नीतीश!

  • फिर पनप रहा है अपरहण उद्योग!


सौरभ के.स्वतंत्र



सुशासन बाबू के नाम से विख्यात नीतीश कुमार के २००४ में सत्ता में आने के बाद बिहार को एक नयी उम्मीद की किरण दिखी. मसलन, अब बिहार से जंगल राज समाप्त हो रहा है..अपराध का ग्राफ गिर रहा है…वंचितों को न्याय मिल रहा है…इसी बेस पर सुशासन बाबू दूसरी पारी खेलने में सफल हुए..पर इन दिनों सूबे का आलम यह है कि सी-कम्पनी यानी कास्ट, क्राइम और करप्शन फिर सिर उठा रहा है..आये दिन हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. मुख्यमंत्री सूबे के सारे एस.पी. और डी.आई.जी. की मैराथन बैठक कर रहे हैं..पर अपहरण, बलात्कार, हत्या के मामले थम नहीं रहे. मुख्यमंत्री पुलिस अधिकारियो की बैठक में किसी भी एस.पी. और डी.आई.जी को डांट पिलाने के बजाये मीडिया पर एकतरफा वार करते दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री का मानना है कि मीडिया सिर्फ एकपक्षीय खबर दिखा रहा है..
इस लिहाज से यह कहना सर्वथा उचित होगा कि सरकार अवसरवादी हो गयी है. मेरी तो सरकार को यही राय है कि उसे यह मान लेना चाहिए कि नीतीश कुमार को जो लोकप्रियता व हाइप मिला है उसके पीछे मीडिया का ही हाथ है..अब जब सरकार नाकाम होती दिख रही तो भी मीडिया से ऐसी उम्मीद का भ्रम पाले रखना निहायत अलोकतांत्रिक है. सच तो सच है..पर्दा क्यों..?



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