सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

गुरुवार, जून 10, 2010

एक मंजिल..राही दो..फिर प्यार न कैसे हो !




एक मंजिल..राही दो...फिर प्यार न कैसे हो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें