सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

शनिवार, जून 05, 2010

भारत में कई रंगे सियार हैं !

भारत में कई धर्म हैं ,
भारत में कई प्रथाएं हैं ,
भारत में कई भाषाएँ हैं ,
भारत में कई तरह के जीव-जंतु हैं ,
भारत में कई नस्ल के कुत्ते हैं,
भारत में कई रंगे सियार भी हैं,
भारत में विविधता है,
इनके बावजूद यहाँ एकता है,
जनगणना में जाति है
फिर क्यों आपत्ति है?

- सौरभ के.स्वतंत्र

6 टिप्‍पणियां:

  1. अपने असहमति का हलफनामा यहाँ दायर कीजिये माधव जी.तब तो मै जानू कि जाति क्यों बुरी है...ऐसे ही क्यों जाती पर रंदा मार रहे हैं?

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  2. हमारे ख्याल से जाती हो तो भी ठीक ना हो तो भी ठीक ,लेकिन एक बात साफ है की आरक्षण सिर्फ गरीब और असहाय को मिले चाहे वह किसी भी जाती का क्यों न हो और इसमें हेराफेरी करने या करवाने वाले दोनों को सख्त से सख्त सजा का प्रावधान हो !

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  3. adhyapak ji

    bahut khub

    jankari di aap ne


    aap ke liye blog he dekhyega jarur

    http://janganana.blogspot.com/

    bahut khub



    फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  4. जातिवाद और जनगणना में जाति में जमीन-असमान का अंतर है..जातिवाद का अर्थ है किसी एक जाति को उचा दिखाना औरो के नीचा..वही जनगणना में जाति से तात्पर्य है...समाज के वंचित तबको की भी जनगणना...ताकि उन्हें हाशिये से मुख्यधारा में लाया जा सके...पाजिटिव डिसक्रीमीनेसन के तहत

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