सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

बुधवार, जून 09, 2010

दुल्हन को मारुती चाहिए...नहीं तो दूल्हा की पिटाई !

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याद आता है हिंदी फिल्म का वह सीन जब लड़की का बाप मांग न पूरा कर पाने पर अपनी पगड़ी लड़के के बाप के चरणों में रख कर गिडगीडाता है..सिर्फ इसलिए कि अगर बारात वापस द्वार से चली गयी तो नाक कट जाएगी..रिअल लाइफ में भी उस समय ऐसा ही होता था..हाल-हाल तक इस्टमैन कलर फिल्मोंमें भी इस तरह का वाकया देखने को मिला..और समाज में भी...
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पर विगत एकाध वर्षो से माजरा बदल गया है...लड़की शादी इसलिए नहीं करती है क्योंकि उसके सपनों का राजकुमार मारुती से नही ऑटो से आया है..लड़की शादी इसलिए नहीं करती है क्योंकि वह लड़कों वालो की नाजायज मांग पर अपने पिता के परेशानी को देख नहीं पाती है और बरात वापस लौट जाती है..
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फिलवक्त सीन और बदला-बदला सा लग रहा है..अब बरात में बाजा नहीं लाने पर...आर्केस्ट्रा(नाच) नहीं लाने पर...दुल्हे समेत उसके बाप और भाई की लड़की वालों द्वारा कम्बल परेड कर दी जा रही..मतलब जबरदस्त पिटाई..और साथ में लड़की ब्याह कर भी लाइ जा रही है..यह मुझे इस समय चल रहे लगन में चार बरातों की कहानी सुनने पर पता चला...
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लब्बोलुआब यह है कि अब ब्लैक एंड व्हाइट वाली संस्कृति विलुप्त हो गयी है..और उसका विलुप्त होना हमारे लिए शुभ है...सीन टू तक भी सही है...मसलन,लोग जागरूक हो रहे हैं...लडकियाँ सशक्त हो रही हैं...पर सीन थ्री में हमारे संस्कृति के पतन के अलावा और कुछ नहीं दिखता..

4 टिप्‍पणियां:

  1. sahi kaha gart me hain ham jaane koi sahara milega uthne ke liye ya doob ke mar hi jaayenge....

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  2. नमस्ते,

    आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।

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  3. अच्छा लिखते हैं आप भाई ,,ऐसे ही लिखते रहिये ,,

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