हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है-
तटस्थता। यहां
कायरता के चेहरे पर
सबसे ज्यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए, सबसे भद्दी
गाली है
हर तरफ कुआं है
हर तरफ खाईं है
यहां, सिर्फ, वह आदमी, देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है..
- सुदामा पाण्डेय धूमिल
(09 नवंबर 1936 - 10 फरवरी 1975)
धूमिल जी की इस महान कविता के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसिर्फ एक शब्द, बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंAdbhut rachna bahut sundar...aur uttejna se bharpoor...
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