कल ही
खेलकर आया था
डेंग-पानी!
चचेरी बहनों के संग,
बचपन के दिनों की
याद ताज़ा करने के निमित्त।
खूब खेला
और खेलते-खेलते
भूल गया कि रिश्ते भी
अब डेंग और पानी हो चले हैं।
आज राखी है ।
सगी बहन दूर परदेस से
भेज चुकी है रेशमी राखी।
पर न जाने डाक में कहाँ गुम हो गई।
इंतज़ार था कि कोई चचेरी बहन
ही सुनी कलाई पर बंधेगी आज
राखी।
पर टकटकी लगाये
शाम हो चली।
छा गया सन्नाटा चहुओर,
टूटे रिश्तों के मानिंद।
- सौरभ के.स्वतंत्र
(दैनिक जागरण के पुनर्नवा में प्रकाशित)
शाम हो चली।
जवाब देंहटाएंछा गया सन्नाटा चहुओर,
टूटे रिश्तों के मानिंद।
ऐसा मुझे भी लगता है ......एक बेहतरिन रचना के लिये बधाई
शाम हो चली।
जवाब देंहटाएंछा गया सन्नाटा चहुओर,
टूटे रिश्तों के मानिंद।
ऐसा मुझे भी लगता है ......एक बेहतरिन रचना के लिये बधाई