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शुक्रवार, सितंबर 27, 2013

एक रहस्यमयी मंदिर!


बिहार के बगहा पुलिस जिला स्थित पकीबावली मंदिर का रहस्य आज भी अनसुलझा है। 200 वर्ष पूर्व नेपाल नरेश जंग बहादुर द्वारा भेंट किया गया जिंदा सालीग्राम, जिसे चुनौटी (खईनी का डब्बा) में रखकर भारत लाया गया था, आज लगभग नारियल से दो गुना आकार का हो गया है और निरंतर इस जिंदा सालीग्राम का विकास जारी है। यह मंदिर बावली (तालाब) के पूर्वी तट पर स्थित है। बकौल मंदिर पुजारी इस मंदिर के जिर्णोद्धार के निमित्त बिड़ला समूह ने अपनी देख-रेख में लेने की पहल की थी। परंतु, स्थानीय हलवाई समुदाय ने इस रहस्यमय मंदिर को बिड़ला समूह को नहीं दिया। जानकारी के लिए बता दें कि यह सिद्ध पीठ मंदिर हलवाई समुदाय के संरक्षण में है। हलवाई समुदाय को डर था कि बिड़ला समूह को मंदिर देने पर मंदिर के निर्माणकत्र्ता रामजीयावन साह का नाम समाप्त हो जाएगा। जिसका फलसफा यह हुआ कि आज मंदिर की मेहराबों व दीवारों में दरारें पड़ गईं हैं। वहीं बावली के तट पर स्थित कई मंदिरें ढ़ह चुकी हैं।
मंदिर की ऐसी दुर्दशा होने के बावजूद यहां भूले-भटके श्रद्धालु तिलेश्वर महाराज के दर्शन करने चले आते हैं। हाल ही में सहज योग संस्था की ओर से दिल्ली, नोएडा तथा अमेरिका से तकरीबन पचास श्रद्धालु रहस्यमयी जिंदा सालीग्राम के दर्शन हेतु आये थें। भक्तों ने वहां जमकर भजन-कीर्तन भी किया था। स्थानीय लोगों ने भी आगन्तुकों का यथाशक्ति स्वागत किया।
मंदिर ट्रस्ट(जो कि अब बंद हो चुका है) द्वारा मुद्रित एक पुस्तक के मुताबिक तकरीबन 200 वर्ष पूर्व तत्कालीन नेपाल नरेश जंग बहादुर अंग्रेज सरकार के आदेश पर किसी जागीरदार को गिरफ्तार करने के लिए निकले थें। तब उन्होंने संयोगवश बगहा पुलिस जिला में ही अपना कैंप लगाया था। उस वक्त रामजीयावन साह खाड़सारी(चिनी) के उत्पादक थंे। रामजीयावन साह नेपाल नरेश की बगहा में ठहरने की सूचना पाकर, एक थाल में शक्कर भेंट करने के लिए कैंप गये। राजा ने खुश होकर उन्हें नेपाल आने का निमंत्रण दिया। रामजीयावन साह के नेपाल जाने पर भव्य स्वागत हुआ और वहां के राजपुरोहित ने उन्हें एक छोटा सा सालीग्राम भेंट किया और अवगत कराया कि यह तिलेश्वर महाराज हैं। रामजीयावन साह ने उस सालीग्राम को चुनौटी में करके बगहा(भारत) लाया तथा अपने पैसों से एक विशालकाय मंदिर प्रांगण की स्थापना की। मंदिर प्रांगण स्थित तालाब(बावली) के पूर्वी तट पर तिलेश्वर महाराज की स्थापना हुई, जहां आज भी वे अपनी अद्भुत छटा बिखेरते हैं।
बावली 

गौरतलब है कि पकीबावली मंदिर प्रांगण में स्थित तालाब के चारों ओर अनेक मंदिर हैं। कुछ मंदिर उपेक्षा के कारण ढ़ह चुकी हैं तो कुछ अभी भी मुत्र्त रूप में खड़ी रामजीयावन साह के सद्कर्मों को अतीत की कुहेलीकाओं से निकालकर वर्तमान में श्रद्धालुओं से बयां कर रही हैं। स्थानीय लोगों का मानना हैे कि बावली जबसे बना है अभी तक नहीं सुखा है। लोगों का यह भी मानना है कि यह किंवदंती है कि इस बावली में सात कुंआ है। वहीं बावली के पश्चिमी तट पर ग्यारह रूद्र दुधेेश्वर नाथ मंदिर तथा उत्तरी तट पर गणेश मंदिर है। इस सिद्ध पीठ स्थान के चारों ओर पार्क भी है। परंतु स्थानीय लोगों के कूपमंडूक दृष्टिकोण से यह सिद्धपीठ स्थान रहस्यमयी और अद्भुत होने के बावजूद स्थानीय रहस्य बनकर ही रह गया है।
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- सौरभ के.स्वतंत्र

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