सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

बुधवार, अक्तूबर 13, 2010

स्वतंत्र प्रसाद की यारी

यारी क्या है
उब है
या
चाह है
निराशा है
या
राह है
विश्वास है
या
सौदा है
क्या है यारी ?
समर्पण है
या
शर्त है
चाह है
या
दर्द है
यारी
कुत्ते का लपलपाता जीभ है
नहीं
यह दूम है
यह यारी प्रेम है
नहीं-नहीं
यह देह है
अरे नहीं जी
यह तो यार की
उम्मीद है
माफ़ कीजिये
उम्मीदों का तलवार है
जिसकी धार है
उसी पर चलना है
उसी से कटना है
और अगर
आह निकली तो
यारी चुप है!

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